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४७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ओरालियसरीर
चलणा-ओरालियसरीरचलणा? ४८, गोयमा ! जपणं जीवा ओरालियसरीरे वट्टमाणा
४९. ओरालियसरीरपायोग्गाई दवाई
५०. ओरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा
५१,५२. ओरालियसरीरचलणं चलिसु वा, चलंति वा,
चलिस्संति वा । से तेणठेणं जाव ओरालियसरीरचलणा।
५३. से केणठेणं भंते ! एवं वच्चइ वेउव्वियसरीर
चलणा-वेउब्वियसरीरचलणा? एवं चेव, ५४. नवरं वेउब्बियसरीर बट्टमाणा।
५५. एवं जाव कम्ममरीरचलणा ।
४७. किण अर्थ प्रभु ! आखियै, ओदारिक नी भाखियै ।
भाखिय, चलणा जे धुर तनु तणी ए ।। ४८. उत्तर नाथ तदा अखे, औदारिक तनु नै विष ।
तनु नै विषे, जीव वर्त्तता जे भणी ए ।। ४९. तनु औदारिक जाणिय, नेह प्रायोग्य पिछाणिय ।
पिछाणिय, द्रव्य अनेक प्रत तदा ए।। ५०. शरीर औदारिकपण, परिणमावता थका मुणे ।
थका मुणे, ते बहु द्रव्य प्रतै यदा ए ।। ५१. चलणा औदारिक तणी, काल अतीत करी घणी।
करी घणी, वर्तमान काले करै ए ।। ५२. अनागत करिस्यै सही, निण अर्थ यावत कही।
यावत कही, औदारिक चलणा फुरैए ।। ५३. प्रभु ! किण अर्थे इम कही, वैक्रिय तनु चलणा वही।
चलणा वही, एवं चेव विचारियै ।।। ५४. णवरं विशेष जिन अखे. वैनिय गर्गर ने विपे :
तनु विप, वर्तमान उच्चारियै ए ।। ५५. एवं जाव अहीजिये, कार्मण तनु कही जिये।
कहीजिये, चलणा आखी तनु तणी ए।। ५६. प्रभु ! किण अर्थे इम कही, श्रोतद्रिय बनणा वही ।
चलण। वहीं, तब भावं विचनधणी ए।। ५७. जे जीव सोइंदिए वर्तते, सोइंदिय जोग बह द्रव्य प्रते।
द्रव्य प्रते, मोहंदियपण परिणमावता ए।। ५८. थोतेंद्रिय चलणा प्रति वही, चल्या चले चलस्यै सही।
चलस्यै सही, इम प्रभु न्याव बतावता ए।। ५९. तिण अर्थे इम आखिये, सोइदिय चलणा दाखियं ।
दाखियै, इम जाव फासिदिय चलणा भणी ए।। ६०. किण अर्थे प्रभ ! इम कही, मनोजोग चलणा मही।
चलणा वही, नव भाख नार्थ धणी ए।। ६१. मनोजोग विषे जीव वर्तते, मन जोग प्रायोग्य द्रव्यां प्रतै ।
द्रव्यां प्रते, मन जोगपणे परिणमावता ए ।। ६२. मन जोग चलण प्रति ले सही, चन्या चले नलस्यै वही।
चलये वही, निण अर्थ म भावताए । ६३. इम वचन जोग चलणाही, काग जोग चालणा वही।
चलणा वही, दाहिजरीन कहावताए । ६४. सतरम शतक तणो भलो, तृतीय उद्देशक गुणनिलो।
गुण निलो, तेहनों देश जणावता ए ।। ६५. पवर तीन सय ढाल जी, आखी अधिक रसाल जी।
रसाल जी, पंच साठमी ए वली ए॥ ६६. भिक्षु भारीमाल जी, रायऋषि सुविशाल जी।
सुविशाल जी, 'जय-जश' संपति रंगरली ए॥
५.६. से कणट्टेणं भंते ! एवं वच्चइ सोइंदियचलणा
गोइंदियनलणा? ५७. गोयमा ! जणं जीवा मोइदिये वट्टमाणा सोइदिय
पायोग्गाई दवाई सोईदियत्ताए परिणामेमाणा ५८. साइंदियचनणं चलिग वा. चलंति वा, चलिस्मंति
वा। ५९. में तेणछेण जाव सोईदियचलणा। एवं जाव
फामि दियचलणा। ६०. में केणठे मंते ! एवं वुच्चइ मणजोगचलणा
मणजोगचलणा? ६१. गोयमा ! जणं जीवा मणजोगे वट्टमाणा मणजोग
पाओग्गाई दवाई मणजोगत्ताए परिणामेमाणा ६२. मणजोगचलण चलिस वा, चलन वा, चलिस्मंति
वा । म नेणटेणं जाय मणजोग चलणा। ६३. एवं बहजोगचलणा वि । एवं कायजोगचलणा वि ।
(श० १७।४७)
श० १७, उ०३, ढाल ३६५ ९५
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