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२६. वलि इंद्रिय-परिणाम, भावे इंद्रिय जीव ए।
द्रव्य इंद्रिय ताम, अजीव ते न गिणी इहां ।। २७. वलि कषाय-परिणाम, भावे कषाय जीव ए।
द्रव्य कषाय तमाम, पाप प्रकृति न गिणी इहां ।। २८. लेश-परिणामी नाम, भावे लेस्या जीव ए।
पिण द्रव्य लेस्था ताम, पुद्गल ते न गिणी इहां ।। २६. आख्यो जोग-परिणाम, भाव जोग ए जीव है।
द्रव्य जोग जे ताम, रूपी ते न गिण्यो इहां ।। ३०. उपयोग दर्शन ज्ञान, चारित ए गुण जीव नां।
जीव-परिणामी जान, जीव राशि मांहे अछै ।। ३१. वेद-परिणामी देख, वेद भाव ए जीव है।
द्रव्य वेद संपेख, मोह प्रकृति न गिणी इहां ।। ३२. ज्ञान-परिणामी जीव, तिम बोजा पिण जीव है।
पुद्गल द्रव्य अजीव, जीव-परिणामो में नथी। ३३. तिण सं जोग-परिणाम, भाव जोग ए जीव है।
उहाण प्रमुखज ताम, इण न्याय अरूपी जिन कह्या ।। ३४. पंचम आश्रव जोग, भावे जोग भणो कयो।
कर्म ग्रहै सुप्रयोग, जीव-परिणामी मांहि छ । ३५. उदाण प्रमुखज देख, ए पिण आश्रव जोग है।
भाव जोग संपेख, अशुभ जोग शुभ जोग बिहुँ । ३६. अशुभ जोग अवधार, सावज जीव व्यापार ए।
कहिये आश्रव द्वार, तेहथी पाप बंधै अछ ।। ३७. वलि शुभ जोग उदार, निरवद जोग व्यापार छ।
निर्जरा कहिये सार, वलि आश्रव कहिये तसु ।। ३८. शुभ जोगे पुन्य बंध, तिणसं आश्रव पंचमो।
कर्म कटै तिण संध, करणी निर्जरा नी कही। ३६. जीव-परिणामी मांय, कषाय-परिणामी कह्यो।
भावे एह कषाय, कषाय आश्रव जीव इम ।। ४०. जीव राशि में आय, जीव-परिणामी भेद दश ।
अजीव राशि रै माय, भेद अजीव-परिणामि दश ।। ४१. बंधण गति संठाण, भेद वर्ण गंध रस फरस ।
अगुरुलघु शब्द जाण, दश अजीव-परिणामि ए॥
४१. दसविधे अजीवपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा--
बंधणपरिणामे, गतिपरिणामे, संठाणपरिणामे, भेदपरिणामे, वण्णपरिणामे, रसपरिणामे, गंधपरिणामे, फासपरिणामे, अगुरुलघुपरिणामे, सहपरिणामे ।
(ठाणं १०।१९)
४२. 'अजीव राशि विमास, न्याय दृष्टि करि देखिये ।
वर्ण गंध रस फास, ए जीव तिम अन्य पिण ।। ४३. जीव राशि में थित्त, जीव-परिणामिक भेद दश ।
ज्ञान दर्शन चारित्त, एह जीव तिम अन्य पिण। ४४. तिणसं भावे जोग, जीव-परिणामिक में कह्या।
उद्राण आदि प्रयोग, तास अरूपी जिन कह्या ।।' [ज.स.] ६० भगवती जोड़
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