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________________ नौ भाग स्यूं १ विकल्प१११. नवे भागे करता थका, नव परमाण जगोस जो। नव प्रदेशिया खध नां, विकल्प कह्या अठवीस जो ।। नव प्रदेशिया नी स्थापना १११. नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवति । (श० १२१७६) १ | ११८ १५ । श२।३।३ २ । २७ 10 | रारा२।३ ३१६ ११११११११५ |४५ २१।१२।४ ११११७ १११।१।३।३ शश६ २० ११११२२॥३ ११३१५ २१ | शरा२।२।२ | ११४।४ २२ २११११११११४ | २।३।४ २३ १११शशश।३ १० | ३।३।३ २४ १।१।१।२।२।२ १।१२११६ २५ १११।१।१।१।११३ १२ १।१२।५ २६ | १११११शशश।२ १३ ।।३।४ २७ / १।१।१।१।१।१।१२२ १४ | १।२।२।४ २८ | १२१।१।१।१।१।१।१।१ दश प्रदेशिया नां ४० भागा११२. दश परमाणु प्रभु ! एकठा, मिलियां थकां स्यूं होय जी? जिन कहै सांभल गोयमा ! दश प्रदेशियो खंध जोय जी।। ११२. दस भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहण्णित्ता किं भवइ? गोयमा ! दसपएसिए खंधे भवइ । ११३. से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि कज्जइ ११३. ते खंध भेदीजतो थको, दोय भागे पिण होय जी। यावत ह दश भाग करि, आगल न्याय तसु जोय जी। दो भाग स्यूं ५ विकल्प११४. दोय भागे करतां थकां, परमाणओ इक पास जी। इक पासे नव प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जो॥ ११५. अथवा वलि एक पासे तसु, द्विप्रदेशिक खंध होय जी। इक पासे अष्ट प्रदेशियो खंध होवै तसु सोय जी॥ ११४. दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गलले, एगयओ नवपएसिए खंधे भवइ। ११५. अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ अट्ठपएसिए खंधे भवइ। २८ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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