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________________ जोहो काल कितोएक बीतां पछै, दोय देव प्रगट होसी ताम । जीहो ते मोटी रिध सुख नां धणो, पूर्णभद्र माणभद्र नाम ।।१०।। जीहो महापदम राजा तणों, सेनापतीपणों करसी आय । जोहो इसड़ा पुन भोगवसी तिहां, सुखसाता माहे दिन जाय ।।११।। जीहो सयदुवार नगर तेहमें, माहोमां मिल कहमी आम। जीहो इण राजा री सेवा करै देवता, देवसेन दूजो देसी नाम ॥१२॥ जीहो देवसेन राजा तणे, हस्ती रतन उपजसी आण। जीहो उजलो संख तल ज्यू निरमलो, चउदंतो हाथी रतन बखाण ॥१३॥ जीहो देवसेन राजा तिहां, तिण हस्ती ऊपर चढ़ ताम । जीहो सयदुवार नगर में मझे, बार-बार नीकलसी तिण ठाम ।।१४।। जीहो तिण काले सयदुवार नगर में, धणां राजादिक सह जाण । जीहो ते कहसी माहोमां तेड़ने, तिणरा करसी घणां बखाण ।।१५।। जीहो देवसेन राजा तणों, विमल हस्ती उपनों ताम। जीहो तिणसू तोजो नाम दो एहनों. विमल वाहण राजा नाम ।।१६।। जीहो महापदम नाम पहिल रो, देवसेन राजा दूजो नाम । जीहो विमलवाहन नाम तोसरो, मोटो गजा होसी अभिराम ।।१७।। जीहो सुखे समाधे राज करता थकां, माठी उपजसी मन मांहि । जोहो घातक साधां रो भव पाछिले. ते गूद मिटी नहीं ताहि ।।१८।। जीहो छहले अवसर आलोय नै, सल काढयो थो तिण ठाम । जीहो तिहां पून बांध्या ते भोगव्या, पाछा आया मूलगा परिणाम ॥१६।। जीहो गोसालो मंखली-पूत थो, हंतो डाकोतरा नी जात । जीहो लाहीठाण कियो थो भगवंत ने, बले दोय साधां रो घात ।।२०।। जीहो तेहीज लखण बले परगट्यां, वले तेहीज खोटा परिणाम । जीहो ते धेखो होसी सुध साधा तणो, ते कुण-कुण माठा करसी काम ।।२१।। काल कितोएक बीतां पछ, विमलवाहण राजान । ते धेषी होसी जिण धर्म नों, वले खोटो रहिसी तिणरो ध्यान ।।१।। पाप करम रा उदा थकी, बिगड़े जासी बात । श्रमण निग्रंथ अणगार थी, पड़िवजसी मिथ्यात ।।२।। ढाल : ३२ [इण पुर कंबल कोय न लेसो] एक-एक साधु नै आक्रोस करसी, एक-एक री घात करतो न डरसो। एक-एक साधु में उपद्रव देसी, एक-एक ने निरभंछणा करसी ।।१।। ४२६ भगवती जोड Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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