SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्ट प्रदेशिया नी स्थापना १ | ११७ १२ | १२१३॥३ २ । २६ १३ | शशरा३ ३ | ३५ १४ । २।२।२।२ ४|४|४ १५ । ११११११११४ ५ | ११०६ १६ | ११११११।३ ६ | श२।५ १७ | १११।२।२।२ ७ | ११३१४ १८ | १|शशशश३ ८ | २।२।४ १९ | १११११११।२।२ ९ | २।३।३ २० । १३शशशशश२ १० | १११११५ २१ ११११११११११११११ | ११ । १।१२।४ नव प्रदेशिया खंध नां २८ मांगा ८२. नव परमाणु प्रभु ! एकठा, मिलियां थकां स्यू होय जी? जिन कहै सांभल गोयमा ! नव प्रदेशिक खंध जोय जो ।। ८२. नव भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, साहण्णिता कि भवइ? गोयमा ! नवपएसिए खंधे भवइ । ८३. से भिज्जमाणे दुहा वि जाव नवहा वि कज्जइ ८४. दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ अट्ठपएसिए खंधे भवइ। ८५. अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ । ८६. अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ। ८७. अहवा एगयओ चउप्पएसिए खंधे, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवइ। ८३. ते खंब भेदीजतो छतो, दोय भागे करि होय जी। यावत ते नव भाग करि ह तसु न्याय अवलोथ जी ।। दो माग स्यूं ४ विकल्प८४. दोय भागे करता थकां, परमाणुओ इक पास जी। इक पासे अष्ट प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी ।। ८५. अथवा वलि एक पासे तसू, द्विप्रदेशिक खंध होय जी। इक पासे सात प्रदेशियो खंध होवै अछै सोय जी ।। ८६. अथवा वलि एक पासे तसु, त्रिप्रदेशिक खंध हाय जी। एक पासे छह प्रदेशियो, खंध होवे तसु सोय जी ।। ८७. अथवा बलि एक पासे तसु, चिउं प्रदेशिक खंध होय जी। इक पासे पंच प्रदेशियो खंध होवै अछ सोय जी ।। तीन भाग स्यूं ६ विकल्प८८. तीन भागे करतां थकां, दोय परमाणु इक पास जी। इक पासे सात प्रदेशियो खंध होवै अछ तास जी ।। ८९. अथवा इक पास परमाणुओ, द्विप्रदेशिक इक पास जी। एक पासे छह प्रदेशियो खंध होवै अछ तास जी ।। १०. अथवा इक पास परमाणुओ, त्रिप्रदेशिक इक पास जी। इक पासे पंच प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी॥ ६१. अथवा इक पास परमाणुओ, एक पासे अवलोय जी। च्यार प्रदेशिया खंध ते, दोय होवै अछ सोय जी ।। १२. अथवा वलि एक पासे हवै, द्विप्रदेशिक खंध तास जी। इक पासे तीन प्रदेशियो, चिउं प्रदेशिक इक पास जी ।। ६३. अथवा वलि तीन प्रदेशिया खंध होवै तसु तीन जी। तीन भागे हवै तेहनां, ए षट विकल्प चीन जी ।। २६ भगवती जोड़ ८८. तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ ___सत्तपएसिए खंधे भवइ। ८९. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ । ९०. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ । ९१. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो चउप्प एसिया खंधा भवंति। ९२. अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ च उप्पएसिए खंधे भवइ। ९३. अहवा तिण्णि तिपएसिया खंधा भवति । Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy