________________
वले साथल बेहूं कूटतो थको, वले मसलतो बेहं हाथ । दोन पगां सूं भूम कूटतो कहै, म्हारी बिगड़ गई बात ॥४॥ आज हणाणो हूं सर्वथा, हा ! हा ! करवा लागो आम । हं माठी विचार आयो इहां, म्हारो बिगड़ गयो सर्व काम ||५|| तो हिवै हूं जाऊं इहां थकी, करूं और उपाय। ज्यू मत कुसले रहै मांहरो, ते किणविध करै छै जाय ॥६॥
ढाल : २०
[धर्म अराधिए ए]] हिवै कोठग बाग थी नीकल्यो ए, आयो सावत्थी नगर मझार । जिहां निज श्राविका ए, हलाहली नामे कुंभकार ।
गोसालो दुखियो घणो ए॥१॥ आँ० तिणरी जायगां में पाछो आय ने ए, अब फल लियो हाथ मझार । मद पाणी पीतो थको ए, वले गीत गावै बारूंवार ॥२॥ वले बारूंवार नाचतो थको ए, कभारी ने नमै सीस नाम । दोन हाथ जोड़नै ए, बले कर तिणरा गुणग्राम ॥३॥ सीतल पाणी माटी भरिया ठामड़ा ए, उलंची-उलंची मैं ठाम । गात्र नै सींचतो ए, माटी नां लेप लगावै ताम ।।४।। बलू-बलू सरीर हुवो तेहनों ए, ते सीतल करवा काज । करै छै विटंबणा ए, पिण नांण मन माहे लाज ||५|| भगवंत कहै तिण अवसरे ए, श्रमण निग्रंथ नैं बोलाय। मौनै बालण कारणे ए, लेस्या काढी सरीर माथी आय ।।६।। ते लेस्या हुंती अति आकरी ए, जाजलमान वशेख। मोनै म्हेली तिण थकी ए, बल जाऔ सोले देस ।।७।। अंग बंग नै मगद देस में ए, मलया नै मालव जाण । अच्छा बच्छा देस मैं ए, कोच्छा पाढ में लाढ वखाण ॥८॥ वज मोली ने मोसली' ए, कोसल अवाहाज ताम । सोलमों संभूतरा ए, ए सोलै देसां रा नाम ।।६।। तिण तेजू लेस्या थी सोलै देस नै ए, बाले राख कर दै ताम। एहवी लेस्या आकरी ए, मेली मोनै बालण रै काम ॥१०॥ ते लेस्या पेठी तिणरा सरीर में ए, बलू-बलू करे रह्यो ताम । कभारी री जागां मझे ए, विटंबणा करै तिण ठाम ॥११॥ तिण अंब फल लियो छ हाथ में ए, जाव करै छै अंजली कर्म । करै छै विटंबणा ए, तिण छोड़ी लाज नै सर्म ।।१२॥ तो पिण ऊंधी करै छै परूपणा ए, तिणरै घट मांहे ओघट घाट ।
वज्र पाप ढांकवा ए, चरम परूपै आठ ॥१३॥ १. काशी : (अंगसुत्ताणि भाग २, श० १५, सू० १२१) ४१० भगवती जोड़
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org