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________________ वा०--इहां एणकादिक पच नाम थकी कह्या अन दोय छेहला पिता ने नामे करी सहित कह्या। वा०—'एणेज्जस्से' त्यादि इहैणकादयः पञ्च नामतोऽभिहिताः द्वौ पुनरन्त्यो पितृनामसहिताविति । (वृ०प०६७८) ५२९. तत्थ णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडिकुच्छिसि चेइयंसि ५३०. उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता ५३१. एणेज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता बावीसं वासाई पढम पउट्टपरिहारं परिहरामि । ५३२. तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उदंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि ५३३. एणेज्जगस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता ५३४. एकवीसं वासाइं दोच्च पउट्टपरिहारं परिहरामि । ५३५. तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंसि चेइयंसि ५३६. मल्लरामस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविणमि, अणुप्पविसित्ता ५३७. वीसं वासाइं तच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि । ५२६. तिहां प्रथम पउट्ट परिहार ते, नगर राजगृह बार । ___ मंडिकुक्षि नामे भल, बाग विषे अवधार ।। ५३०. नाम उदाई गोत्र तसु, कुंडियायन सुविचार । म्है छांडय तनु तेहनो, ते छांडी तिहवार ।। ५३१. एणीक तणे शरीर हूं, पैठो पैसी धार । वर्ष बावीस रह्यो तिहां, ए प्रथम पउट्ट परिहार ।। ५३२. तिहां द्वितीय पउट्ट परिहार ते, नगर उदंडपुर बार। चंद्रोतर नामे भलो, बाग विषे सुविचार ।। ५३३. एणीक तनु म्है मूकियो, मूकी ने तिण ठाम । मल्लराम नां तनु विषे, पैठो पेसी ताम ।। ५३४. मल्लराम नां तनु विषे, रह्यो वर्ष इकबीस । द्वितीय पउट्ट परिहार ए, म्है की● सुजगीस ।। ५३५. तिहां तृतीय पउट्ट परिहार ते, चंपानगरी बार। अंगमंदर नामे भलो, बाग विष सुविचार ।। ५३६. मल्लराम नां तनु प्रतै, मूक्यो मूकी ताम । मंडित तणां शरीर में, पैठो पैसी आम ।। ५३७. मंडित नां तनु नै विषे, रह्यो वर्ष हं बीस । तृतीय पउट्ट परिहार ए, मैं कीधू सजगीस ।। ५३८. तिहां तुर्य पउट्ट परिहार ते, नगरी वाणारसी बार। काम महावन प्रवर ही, चैतन्य विषे सुविचार ।। ५३६. मंडित तणां शरीर प्रति, मूक्यो मूकी सोय । रोह तणां तनु नै विषे, पेठो पैसी जोय ।। ५४०. रोह तणां तनु नैं विषे, रह्यो वर्ष उगणीस । तुर्य पउट्ट परिहार ए, म्है कीवू सुजगीस ॥ ५४१. तिहां पंचम पउट्ट परिहार ते, नगरो आलंभिका बार। प्राप्त काल नामे भलो, बाग विषे सुविचार ।। ५४२. रोह तणां शरीर प्रति, मूक्यो मूकी ताम । भारदाई नां तनु प्रतै, पैठो पैसी आम ।। ५४३. भारदाई नां तनु विषे, हूं रह्यू वर्ष अठार । पंचम पउट्ट परिहार ए, मै कोळू तिहवार ।। ५४४. तिहां षष्टम पउट्ट परिहार ते, नगरी विशाला बार। कुंडियायण नामे भलो, बाग विषे अवधार ।। ५४५. भारदाई नां शरीर प्रति, मूक्यो मूकी सोय। अर्जुन गोतम-पुत्र तनु, पैठो पैसी जोय ।। ५४६. अर्जुन गोतम-पुत्र तनु, हूं रह्यं सतरै वास । षष्टम पउट्ट परिहार ए, म्है की— सुविमास ।। ५४७. सप्तम पउट्ट परिहार ते, नगरी सावत्थी एह । हालाहला कुंभकारी ना, कुंभकार हाटेह ।। ५३८. तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि ५३९. मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि , अणुप्पविसित्ता ५४०. एकूणवीसं वासाई चउत्थ पउट्टपरिहारं परिहरामि । ५४१. तत्थ णं जे से पंचमे पउपरिहारे से णं आल भियाए नगरीए बहिया पत्तकालगंसि चेइयंसि ५४२. रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पज हिता भारद्दाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता ५४३. अट्ठारस वासाई पंचमं पउट्टपरिहारं परिहामि । ५४४. तत्थ णं जे से छठे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि ५४५. भारद्दाइस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता ५४६. सत्तरस वासाइं छठें पउट्टपरिहारं परिहरामि । ५४७. तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्रपरिहारे से णं इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावर्णसि भ० श०१५ ३३९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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