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वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता
२२. तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्ज
समयाहिया उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता।
२३. तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य।
(श० ११११६०)
२४. अत्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दब्वाई-सवण्णाई
पि अवण्णाई पि।
२५. तहेव (सं० पा०) हंता अत्थि ।
एवं ईसाणे वि, एवं जाव अच्चुए, एवं गेवेज्जविमाणेसु,
२६. अणुत्तरविमाणेसु वि, ईसिपब्भाराए वि जाव ? हंता अत्थि ।
(श० ११११६१)
सुरलोके स्थिति सुर तणी रे लाल,
धुर दश वर्ष हजार ॥ सुखकारी रे॥ २२. समय अधिक तिण ऊपरे रे,
दोय समय अधिकाय । सुखकारी रे। जाव स्थिति उत्कृष्ट थी रे लाल,
तेतीस सागर ताय ॥ सुखकारी रे॥ २३. तिण उपरत विच्छेद छ रे,
सुर अथवा सुरलोग। सुखकारी रे। अधिकी स्थिति नहि देव नी रे लाल,
तिण सं विच्छेद प्रयोग ॥ सुखकारी रे॥ २४. छै प्रभु ! सौधर्म कल्प में रे,
द्रव्य जे वर्ण सहीत । सुखकारी रे। वर्ण रहित पिण द्रव्य छै रे लाल,
तिमहिज प्रश्न सुरीत ॥ सुखकारी रे ॥ २५. जाव हंता अत्थि जिन कहै रे,
इमहिज कहियै ईशान। सुखकारी रे। इम यावत अच्युत कह्यो रे लाल,
इम ग्रैवेयक विमान ।।सुखकारी रे ।। २६. इमहिज अणुत्तर विमाण में रे,
इमहिज इसिपब्भार । सुखकारी रे। यावत जिन उत्तर दिये रे लाल,
हंता अत्थि सार ॥ सुखकारी रे ।। २७. महा मोटी परषद तदा रे,
____ जाव गई स्व स्थान । सुखकारी रे। आलभिया नां बाजार में रे लाल,
लोक वदै इम वान ॥ सुखकारी रे॥ २८. अवशेष जिम शिव नी परै रे,
जाव सर्व दुख क्षीण । सुखकारी रे। णवरं इतरो विशेष छै रे लाल,
आगल कहिये चीन ॥ सुखकारी रे॥ २६. त्रिदंड नै वलि कुंडिका रे,
गेरू रंग्या वस्त्र ताहि । सुखकारी रे। ते पहिरयां विभंग पड़ियै छते रे लाल,
नगरी आलभिया मांहि ।। सुखकारी रे ।। ३०. आलभिया मध्य नीकली रे,
यावत कूण ईशाण। सुखकारी रे। आवी त्रिदंड नैं कंडिका रे लाल,
एकांत मूक जाण ॥ सुखकारी रे॥ ३१. जिम खंधक चारित्र लियो रे,
तिमहिज चरण उदार । सुखकारी रे। शेष सर्व शिव नी परै रे लाल,
यावत मोक्ष मझार ॥ सुखकारी रे॥
२७. तए णं सा महतिमहालिया परिसा जाव जामेव दिसिं
पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया।
तए णं आलभियाए नगरीए............"बहुजणो
अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ (सं० पा०) २८. अवसेसं जहा सिवस्स (भ० १११८३-८८) जाव
सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं
२६-३१. तिदंडकुंडियं जाव धाउरत्तवत्थपरिहिए परिव
डियविभंगे आलभियं नगरि मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ जाव उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ तिदंडकुंडियं च जहा खंदमओ (भ० २१५२) जाव पव्वइओ सेसं जहा सिवस्स (भ० १११८३-८८) जाव ।
श. ११.०.१२ तास २४८
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