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________________ १०. १ रत्न, १ सक्कर, १० वालु, असंख पंक ११. १ रत्न, १ सक्कर, संख वालु, असंख पंक १२. १ रत्न, १ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक १३ १ रत्न, २ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, १४. १ रत्न, ३ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक १५. १ रत्न, ४ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक १६. १ रत्न, ५ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक १७. १ रत्न, ६ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक T १८. १ रत्न ७ सक्कर, असंख वालु असंख पंक १६. १ रत्न ८ सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २०. १ रन, सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २१. १ रत्न, १० सक्कर, असंख वालु, असं ख पंक २२. १ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु असंख पंक २३. १ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २४. २ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २५. ३ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २६. ४ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २७. ५ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २८. ६ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक २६. ७ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक ३०. ८ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक ३१. ६ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक ३१. १० रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पक ३३. संख रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक ३४. असंख रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक एवं ३४ विकल्प का एक एक विकल कर पंती-पंतील भांगा कीधे छते ११६० भांगा हुवे - हिवे असंख जीवां रा पंच संयोगिक ११. योगिनां इहां पैंतालीस विकल्प करि दीस के नव सय पैंतालोस भंग है, इक इक विकल्प भंग इकवीस के ॥ असंख्यात जीवां रा पंच संयोगिक विकल्प ४५ जुदा-जुदा कहै छै - १. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, १ पंक, असंख धूम २. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु २ पंक, असंख धूम ३. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ३ पंक, असंख धूम ४. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ४ पंक, असंख धूम ५. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ५ पंक, असंख धूम ६. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ६ पंक, असंख धूम ७. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ७ पंक, असंख धूम ८. १ रत्न, १ सक्कर, १ बालु ८ पंक, असंख धूम ६. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, ६ पक, असंख धूम १०. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, १० पंक, असंख धूम ११. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, संख पंक, असंख धूम १२. १ रत्न, १ सक्कर, १ वालु, असंख पंक, असंख धूम Jain Education International ११. पञ्चकसंयोगे पुनर्नव शतानि पञ्चचत्वारिंशदधिकानि ९४५, ( वृ० प० ४४९ ) For Private & Personal Use Only श० ६, उ० ३२, ढाल १६० २०१ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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