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________________ महानदी नामानि गंगा १ । सिंधु २ रोहितांशा ३) रोहिता ४ | हरिकंता ५हरिसलिला ६/ सीतोदा ७ | सीता ८ | नारीकता र नरकंना १० निर्गम वर्षधर पर्वत चुल्लहिमवंत चुल्लहिमवंत चुल्ल हिमवंत महाहिमवंत महाहिमवंत निषध निषध नीलवंत नीलवंत रु प्यी पद्मद्रह निर्गम द्रहा | महापुंडरीक | पद्मद्रह | महापद्मद्रह | महापद्मद्रह | तिगिच्छद्रह | तिगिच्छद्रह केसरीद्रह | केस द्रह | पद्मद्रह मूल प्रवाह विक्खंभ यो०६। यो०६॥ १२॥ १२॥ २५ २५ मूल ऊंडपण क्रोश ॥ क्रोश ।। निर्गम क्षेत्र भरत क्षेत्र । भरत क्षेत्र | हेमवंत क्षेत्र हेमवंत क्षेत्र | हरिवर्ष | हरिवर्ष महाविदेह महाविदेह रम्यक समुद्रप्रवेश दिशि । पूर्व पश्चिम पश्चिम । पूर्व पश्चिम पूर्व | पश्चिम पूर्व पश्चिम पूर्व मुखप्रवाह विक्खंभ : यो० ६२॥ | ६२॥ | १२५ | १२५ २५० २५० ५०० ५०० २५० २५० मुखप्रवाह ऊंडपण यो० ११ | १ २ ॥ | २॥ परिवार | १४००० | १४००० | २८००० । २८००० | ५६००० । ५६००० । ५३२००० | ५३२००० | ५६००० | ५६००० Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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