________________
१०० तथा रत्न बे पंके
एक, एक धूम बे तमा विशेख । तथा रत्न बे पंके एक, एक धूम बे सप्तमीं शेख ॥ १०१ तथा रत्न इक पंके एक, तीन धूम इक तमा उवेख । तथा रत्न इक पंके एक, तीन धूम इक सप्तमीं शेख ॥ १०२. तथा रत्न इक पंके दोय, दोय धूम इक तमा जोय । तथा रत्न इक पंके दोय, दोय धूम इक सप्तमीं जोय ॥ १०३. तथा रत्न बे पंके एक, दोय धूम इक तमा उवेख । तथा रत्न बे पंके एक, दोय धूम इक सप्तमीं शेख ॥ १०४. तथा रत्न इक पंके तीन, एक धूम इक तम मलीन ।
तथा रत्न इक पंके तीन, एक धूम इक सप्तमीं लीन ॥ १०५ तथा रन वे पंके दोष, एक धूम एक तमा जोय
1
-
तथा रत्न वे पंके दोय, एक धूम इक सप्तमीं होय ॥ १०६. तथा रत्न त्रिण पंके एक एक धूम इक तमा देख तथा रत्न त्रिण पंके एक, एक धूम इक सप्तमीं शेख ॥ हि रत्न पंक तम थी १ भांगो दश विकल्प करि १० भांगा कहै छे - १०७. तथा रत्न इक पंके एक, एक तम त्रिण सप्तमी शेख । तथा रत्न इक पंके एक, दोयतमा बे सप्तमीं लेख ॥ १०८. तथा रत्न इक पंके दोय, एक तमा वे तथा रत्न बे पंके एक, एकतमा बे १०६. तथा रत्न इक पंके एक, तीन तमा इक तथा रत्न इक पंके दोय, दोय तमा इक
सप्तमीं सोय । सप्तमीं शेख ॥ सप्तमीं लेख ।
सप्तमीं सोय ।।
सप्तमीं लेख ।
११०. तथा रत्न बे पंके एक, दोय तमा इक तथा रत्न इक पंके तीन, एक तमा इक १११. तथा रत्न बे पंके दोय, एक तमा इक एक तमा एक सप्तमीं शेख |
सप्तमीं लीन । सप्तमीं जोय ।
तथा रत्न त्रिण पंके एक,
हि रत्न धूम थी १ भांगो दश विकल्प करि १० भांगा कहै छै
११२. तथा रत्न इक धूमा एक, तथा रत्न इक धूमा एक, ११३. तथा रत्न इक धूमा दोय, तथा रत्नधूमा एक, ११४. तथा रत्न इक धूमा एक,
तमा त्रिण सप्तमीं देख |
Jain Education International
एक दोय तमा वे एकतमा बे एक तमा बे तीन तमा इक
सप्तमीं शेख ॥ सप्तमीं होय । सप्तमीं पेख ॥
तथा रत्न इक धूमा दोय, दोय तमा इक ११५. तथा रत्न से घूमा एक, दोय
सप्तमी शेख । सप्तमीं सोय ।। तमा इक सप्तमी लेख तथा रत्न इक धूमा तीन, एक तमा एक सप्तमीं चीन ॥ ११६. तथा रत्न बे धूमा दोय, एक तमा इक सप्तमीं होय । तथा रत्न त्रिण धूमा एक, एक तमा एक सप्तमीं शेख ॥। हि सक्कर थी १० भांगा, ते किसा ? सक्कर वालुक थी ६, सक्कर पंक थी ३, सक्कर धूम थी ९ एवं सक्कर थी १० एकेक विकल्प करि हुवें । तिहां सक्कर वालुक थी ६, ते किसा ? सक्कर वालुक पंक थी ३, सक्कर वालुक धूम थी २, सक्कर वाल्क तम थी १, तिहां सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा दश विकल्प करि ३० भांगा कहै छै -
१४० भगवती जोड़
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org