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तेरापंथ के चौथे यशस्वी गणी श्रीमज्जयाचार्य 'भगवती-जोड़' के स्व-रचित आशु पद्य साध्वी श्री गुलाबांजी को लिखाते हुए। उनके हाथ में भगवती सूत्र तथा उसकी टीका की प्रति है। जोड़ का रचना-काल
वि० सं० १६१६ से १६२४
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