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८०. माणोव उत्ता मायोव उत्ता संपेख, लाभोव उत्ते तीस रु एक।
माणोव उत्ता मायोवउत्ता जोय, लोभोवउत्ता बतीस होय" ।।
चउक संजोगिया १६ भांगा ८१. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते गम, मायोवउत्ते लोभोवउत्ते प्रथम ।
कोहोवउत्ते माणोव उत्ते जोय, मायोवउत्ते लोभोव उत्ता होय ।। ८२. कोहोवउत्ते माणोव उत्ते दुचीन, मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ए तीन ।
कोहोवउत्ते माणोव उत्ते धार, मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ए च्यार"। ८३. कोहोवउत्ते माणोव उत्ता संच, मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ए पंच"।
कोहोव उत्ते माणोव उत्ता प्रगट, मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ए षट् ।। ८४. कोहोवउत्ते माणोव उत्ता विख्यात, मायोवउत्तालोभोवउत्ते ए सात"।
कोहोब उत्ते माणोव उत्ता निकृष्ट, मायोवउत्ता लोभोव उत्ताए अष्ट ।। ८५. कोहोवउत्ता माणोवउत्ते जोय, मायोव उत्ते लोभोवउत्ते होय" ।
कोहोव उत्ता माणोब उत्ते विरस, मायोवउत्ते लोभोव उत्ता ए दश ।। ८६. कोहोवउत्ता माणोव उत्ते विचार, मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ए ग्यार।
कोहोवउत्ता माणोवउत्ते धार, मायोवउत्ता लोभोव उत्ता ए बार" ।। ८७. कोहोव उत्ता माणोवउत्ता हेर, मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ए तेर"।
कोहोवउत्ता माणोव उत्ता जाण, मायोवउत्ते लोभोव उत्ता पिछाण" ।। ८८. कोहोवउत्ता माणोव उत्ता निखर, मायोव उत्ता लोभोव उत्ते पनर ।
कोहोव उत्ता माणोव उत्ता निटोल,मायोव उत्ता लोभोव उत्ता ए सोल ।। ८६. इक संजोगिया आठ जगीस, द्विक संजोगिया च्यार रु बीस।
त्रिक संजोगिया भंग बतीस, चउक संजोगिया सोलै दीस ।। ६०. असंखेज्ज समयाधिक जाण, जघन्य स्थिति नेरइया पिछाण। ६०. असंखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउग्गुक्कोसियाए
तत्प्रायोग्य उत्कृष्टी स्थित्त, सप्त बीस भंगा है तत्थ ॥ ठितीए सत्तावीसं भंगा भाणियवा। (श० ११२१८)
१३२ भगवती-जोड़
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