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________________ परिशिष्ट : ३ कथा २२७ २. खङ्गि दृष्टान्त' किसी नगर में श्रावक रहता था। छोटी अवस्था में मृत्यु हो गई। वह यौवन के मद से मूढ बना रहा। धर्माचरण नहीं किया। फलतः वह मरकर गेंडा बना। वह बहुत क्रूर था। जंगल में आने वाले मनुष्यों को मारकर खा जाता था। एक बार कुछ मुनि उस जंगल से गुजर रहे थे। उन्हें देखा पर आक्रमण नहीं कर सका। वह चिन्तन में डूब गया, पूर्वजन्म की स्मृति हो गई । पूर्व भव को जानकर उसने अनशन कर लिया। आयुष्य पूरा कर वह देवलोक में गया । यह गैंडे की पारिणा मिकी बुद्धि थी। २१. स्तूप दृष्टान्त' वैशाली पर विजय पाने के लिए कूणिक का प्रयत्न सफल नहीं हुआ। उस समय कुलबालुक ने मुनिसुव्रत स्वामी के स्तूप को उखाड़ने का सुझाव दिया । यह उसकी पारिणामिकी बुद्धि थी।' १. (क) आवश्यकचूणि, पृ. ५६७ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. २९१ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति, प. ५३३ (घ) नन्दी मलयगिरीया वृत्ति, प. १६७ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम्, पृ. १४३ (छ) आवश्यक नियुक्ति दीपिका, प. १८३ २. (क) आवश्यक चूणि, पृ. ५६७,५६८ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. २९१ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति, प. ५३३ (घ) नन्दी मलयगिरीया वृत्ति, प. १६७ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम्, पृ. १४३ (छ) आवश्यकनियुक्ति दीपिका, प. १८३ ३. आवश्यक नियुक्ति दीपिका में इस कथा के स्थान पर 'स्तूप' और 'इन्द्र' दो भिन्न कथाएं मिलती हैं। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
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