SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७८ अंग नाम १. आचार २. सुत्रकृत ३. स्थान ४. समवाय ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति ६. ज्ञातधर्मकथा ७. उपासकदशा ८. अन्तकृतदशा १०. प्रश्नव्याकरण ११. विपाकश्रुत विषयवस्तु आचार लोक, अलोक, जीव अजीव तथा स्वसमयपरसमय की Jain Education International सूचना जीब अजीव स्वसमय परसमय तथा लोक- अलोक का स्थापन जीव-जीव स्वसमय परसमय तथा लोक- अलोक का समाश्रयण जीव- अजीव, स्वसमय परसमय तथा लोक- अलोक की व्याख्या धर्मकथा और ९. अनुत्तरोपपातिक अनुतरविमान में दशा उत्पन्न होने वालों का वर्णन दृष्टान्त श्रमणोपासकों की आचारसंहिता संसार का अंत करने वालों का वर्णन अंगुष्ठ प्रश्न आदि विद्याओं का निरूपण अशुभ कर्म के दुःख विपाक और शुभ कर्म के सुखद विपाक का वर्णन वाचना परिमित 33 अनुयोगद्वार संख्येय 21 वेढा संख्येय 37 For Private & Personal Use Only श्लोक नियुक्ति संग्रहण प्रतिपति संख्येय संख्येय ० संख्येय 33 19 12 संख्येय नंदी नन्दी के आधार पर 23 " 33 श्रुतस्कन्ध २ २ १ २ १ १ www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy