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________________ १२९० जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास १३२९ में न्यायकंदली पंजिका के रचनाकार) संगीतोपनिषत्सारोद्धार यह इस गच्छी के वाचनाचार्य सुधाकलश द्वारा वि० सं० १४०६/ई० सन् १३५० में रची गयी ६१० श्लोकों की रचना है। यह ६ अध्यायों में विभक्त है। इसकी प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी लम्बी गुरु-परम्परा का परिचय न देते हुए अपने पूर्वज अभयदेवसूरि तथा उनकी परम्परा में हुए श्रीतिलकसूरि एवं उनके शिष्य राजशेखरसूरि का अपने गुरु के रूप में उल्लेख किया है : मलधारी अभयदेवसूरि श्रीतिलकसूरि राजशेखरसूरि सुधाकलश (वि० सं० १४०६/ ई० १३५० में संगीतोपनिषत् सारोद्धार के रचयिता) उक्त साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की एक तालिका इस प्रकार निर्मित होती है (द्रष्टव्य तालिका क्रमाङ्क - १) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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