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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित _संडेरगच्छीय आचार्यों के परम्परा की तालिका
ईश्वरसूरि (प्रथम) (संडेरगच्छ के आदिम
| आचार्य) यशोभद्रसूरि (संडेरगच्छ के महाप्रभावक
आचार्य) इन्होंने संवत १०३९/ई० सन् ९८२ में पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की जो वर्तमान में करेड़ा (प्राचीन करहेटक) में स्थित पार्श्वनाथ
जिनालय में प्रतिष्ठित है।) श्यामाचार्य (यशोभद्रसूरि के शिष्य)
शालिभद्रसूरि (प्रथम) [वि० सं० ११८१-१२१५
प्रतिमालेख] सुमतिसूरि (प्रथम) [वि० सं० १२३७-१२५२
। प्रतिमालेख] शांतिसूरि (प्रथम) [वि० सं० १२४५-१२९८
प्रतिमालेख] ईश्वरसूरि (द्वितीय) [वि० सं० १३०७-१७
प्रतिमालेख] शालिसूरि (द्वितीय) [वि० सं० १३३१-४५
प्रतिमालेख] इनके उपदेश से वि० सं० १३२४ में महावीर
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