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संडेरगच्छ
१२४९ .संभवनाथ की प्रतिमा को देवकुलिका सहित प्रतिष्ठित कराने का उल्लेख,
प्रतिष्ठा स्थान - बावनजिनालय, की देहरी, उदयपुर
संडेरगच्छीय गुर्वावली का सामान्य रूप से यही क्रम प्राप्त होता है, परन्तु शान्तिसूरि और शालिसूरि द्वारा प्रतिष्ठित कुछ जिनप्रतिमायें जो वर्तमान में स्तम्भतीर्थ स्थित मल्लिनाथ जिनालय में सुरक्षित हैं, उनपर उत्कीर्ण लेखों से विचित्र तथ्य प्राप्त होते हैं।
जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं, शालिसूरि का उल्लेख करने वाला सर्वप्रथम अभिलेख वि० सं० ११८१ और अन्तिम अभिलेख वि० सं० १२१५ का है । इसके बाद सुमतिसूरि द्वारा प्रतिष्ठित वि० सं० १२३७ से वि० सं० १२५२ तक के लेख विद्यमान हैं । इसके आगे शान्तिसूरि द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमाओं के लेख भी वि० सं० १२४५ से वि० सं० १२९८ तक के हैं । यह स्वाभाविक क्रम है, परन्तु वि० सं० १२१५ में शान्तिसूरि२७ (प्रथम) शालिसूरि के साथ एवं वि० सं० १२५२ में शालिसूरि३८ सुमतिसूरि (प्रथम) के साथ प्रतिष्ठाकार्य सम्पन्न करा रहे हैं, यह विचारणीय है।
ईश्वरसूरि (द्वितीय) के पट्टधर शालिभद्रसूरि (द्वितीय) हुए । इनके द्वारा प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमालेख आज उपलब्ध हैं। उनका विवरण इस प्रकार है -
वि० सं० १३३१ वैशाख सुदि ९ सोमवार३९ कपर्दियक्ष की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान - जैनमन्दिर, बयाना वि० सं० १३३७ चैत्र सुदि ११ शुक्रवार शान्तिनाथ प्रतिमा का लेख
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