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________________ १२२६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास ३१. मुनि जिनविजय - संपा० प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग २, भावनगर १९२१ ई० सन्, लेखांक ५२३. ३२. द्रष्टव्य संदर्भ क्रमांक २५. ३३. वही ३४. प्रो० एम० ए० ढांकी से प्राप्त व्यतिगत सूचना पर आधारित. ३५. विवेकविलास, संशोधक एवं संपादक : भृगुभाई फतेहचंद कारबारी, प्रकाशक - मेघजी हीरजी बुकसेलर, मुम्बई १९१६ ई० सन्. द्रष्टव्य-संदर्भक्रमांक २४. ३७. मोहनलाल मेहता और हीरालाल रसिकलाल कापडिया - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ४, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला-१२, वाराणसी १९६८ ई०, पृष्ठ २१७. ३८. भोगीलाल सांडेसरा - वस्तुपाल का साहित्य मंडल और संस्कृत साहित्य को उसकी देन, पृष्ठ ८९. राजबली पाण्डेय - हिन्दूधर्मकोश, लखनऊ १९८८ ई०, पृष्ठ ५१३-१४. ४०. मेहता और कापडिया, पूर्वोक्त, पृष्ठ २१७. ४१. अम्बालाल प्रेमचन्द शाह - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ५, पृष्ठ १९७. ४२. H. R. Kapadia, Padmananda Mahakavya, Introduction, Pp 31 33. श्यामशंकर दीक्षित-तेरहवीं चौदहवीं शताब्दी के जैन संस्कृत महाकाव्य, जयपुर १९६९ ईस्वी, पृष्ठ २५४-२५६. ४३. प्रबन्धकोश, "अमरचन्द्रकविप्रबन्ध" पृष्ठ ६१-६३. ४४. सांडेसरा, पूर्वोक्त, पृष्ठ ८९. ४५. दीक्षित, पूर्वोक्त, पृष्ट ३०३-३०४. ४६. गुलाबचंद चौधरी - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पृष्ठ ७६-७७. ३९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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