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________________ ११६६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास १. चक्रेश्वरसूरि १६. उदयसागरसूरि २. जिनदत्तसूरि १७. देवसागरसूरि ३. देवचन्द्रसूरि १८. लालसागरसूरि ४. गुणचन्द्रसूरि कमलसागरसूरि ५. धर्मदेवसूरि २०. हरिभद्रसूरि ६. जयदेवसूरि २१. वागसागरसूरि ७. पूर्णचन्द्रसूरि केशरसागरसूरि ८. हरिभद्रसूरि २३. भट्टारकगोपालजी ९. कमलप्रभसूरि २४. यशकरणजी १०. गुणकीर्तिसूरि २५. लालजी ११. दयानन्दसूरि २६. हुकमचन्द १२. भावचन्द्रसूरि २७. इन्द्रचन्द १३. कर्मसागरसूरि २८. फूलचन्द १४. ज्ञानसागरसूरि २९. रतनचन्द १५. सौभाग्यसागरसूरि ३०. .... श्री नाहटा द्वारा प्रस्तुत उक्त नामावली में गच्छ के प्रवर्तक या आदिम आचार्य के रूप में चक्रेश्वरसूरि का उल्लेख है। अभिलेखीय साक्ष्यों से भी यही संकेत मिलता है । क्योंकि कुछ प्रतिमालेखों में प्रतिमाप्रतिष्ठापक आचार्य को चक्रेश्वरसूरि संतानीय कहा गया है। नामावली में उल्लिखित द्वितीय पट्टधर जिनदत्तसूरि, तृतीय पट्टधर देवचन्द्र और चतुर्थ पट्टधर गुणचन्द्र के बारे में किन्हीं अन्य साक्ष्यों से कोई सूचना नहीं मिलती। पंचम पट्टधर धर्मदेवसूरि से लेकर अष्टम पट्टधर हरिभद्रसूरि तक के नाम अभिलेखीय साक्ष्यों में भी मिल जाते हैं तथा नवें पट्टधर कमलप्रभसूरि का साहित्यिक और अभिलेखीय दोनों साक्ष्यों में उल्लेख मिलता है । उक्त नामावली के अन्य मुनिजनों के बारे में (ज्ञानसागर को छोड़कर) किन्हीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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