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________________ Jain Education International तालिका नं०४ वडगच्छीय वंशावली और चन्द्रगच्छीय वंशावली के परस्पर समायोजन से निर्मित विद्यावंशवृक्ष उद्योतनसूरि [प्रथम] बृहदगच्छ सर्वदेवसूरि देवसूरि (प्रथम] नेमिचन्द्रसूरि [प्रथम] उद्योतनसूरि [द्वितीय For Private & Personal Use Only वर्धमानसूरि आम्रदेवसूरि [प्रथम] जिनेश्वरसूरि बुद्धिसागरसूरि प्रद्योतनसूरि जिनचन्द्रसूरि नेमिचन्द्रसूरि [द्वितीय] [आनन्दसूरि के पट्टधर] L1H12-1-11 जिनचन्द्रसूरि [पट्टधर] अभयदेवसूरि [पट्टधर] जिनभद्रसूरि अपरनाम धनेश्वरसूरि प्रसन्नचन्द्रसूरि जिनवल्लभसूरि वर्धमानसूरि [द्वितीय] आम्रदेवसूरि [द्वितीय] श्रीचन्द्रसूरि देवभद्रसूरि जिनदत्तसूरि चक्रेश्वरसूरि (खरतरगच्छ प्रारम्भ) (वडगच्छीय) नेमिचन्द्रसूरि यशोदेवसूरि [शिष्य] गुणाकरसूरि [शिष्य] विजयसेनसूरि [शिष्य [पट्टधर] । [द्वितीय] www.jainelibrary.org हरिभद्रसूरि [मुख्य पट्टधर] [श्रीचन्द्रसूरि शिष्य] हरिभद्रसूरि [आम्रदेवसूरि द्वितीय के पट्टधर] परमानन्दसूरि [शिष्य] [पट्टधर] ११३५
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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