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तालिका नं०३ चन्द्रकुल (चन्द्रगच्छ) के आचार्यों का विद्यावंशवृक्ष
११३४
उद्योतनसूरि (प्रथम)
उपदेशपद [हरिभद्र] टीका, उपदेशमालाबृहट्टीका उपमितिभवप्रपंचनामसमुच्चय आदि ग्रन्थों के प्रणेता वि. सं. १०८८ में आबू स्थित विमलवसही में प्रतिमा प्रतिष्ठापक
वर्धमानसूरि
जिनेश्वरसूरि
बुद्धिसागरसूरि [वि. सं. १०८० में पञ्चग्रंथी
व्याकरण की रचमा]
प्रमालक्षण [सटीक], पञ्चलिंगीप्रकरण, निर्वाणलीलाकथा वीरचरित्र, हरिभद्रसूरि के अष्टकों पर टीका षट्स्थानप्रकरण, कथाकोषप्रकरण आदि ग्रन्थों के प्रणेता
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जिनचन्द्रसूरि
[पट्टधर] संवेगरंगशाला के रचनाकार
[वि.सं. ११२५]
अभयदेवसूरि (पट्टधर)
जिनभद्र अपरनाम धनेश्वरसूरि
सुरसुन्दरीकहा [वि. सं. १०९५]
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
प्रसन्नचन्द्रसूरि
जिनवल्लभसूरि
वर्धमानसूरि
।
[अभयदेवसूरि के पट्टधर] वि. सं. ११४० में मनोरमाकहा वि. सं. ११६० में आदिनाथचरित्र [वि. सं. ११८७-१२८८ अभिलेखानुसार]
देवभद्रसूरि
| जिनदत्तसूरि
(खरतरगच्छ प्रारम्भ)
चक्रेश्वरसूरि (बृहद्गच्छीय)
चन्द्रगच्छीय)
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