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ब्रह्माणगच्छ
१११५ के लेख में हेमतिलकसूरि, वीरचन्द्रसूरि, जयाणंदसूरि तथा प्रतिष्ठाकर्ता मुनितिलकसूरि के नाम अंकित हैं ।
डॉ० अरविन्दकुमार सिंह ने इस लेख की वाचना दी है१५, जो इस प्रकार है:
१. संवत् १५०१ वर्षे श्रीपार्श्वनाथः (प्रतिमा) स्थापितः २. ने (?) ने (न) डूलाई प्रासा (द) ++ न परिन ++ श्रावके ३. छे श्री हेमतिलक सूरितः । तत् पट्टे श्री वीरचन्द्र सू (रि) ++देम
भापतः
४. (श्री) जयाणंद सूरि प्रतिष्ठित गछनायक ५. (श्री) मुनि तिलक सूरि श्रा० .... ६. ............
वीर जिनालय, वरमाण से प्राप्त एक स्तम्भ लेख६ जो वि० सं० १४४६/ई० स० १३९० का है, में ब्रह्माणगच्छीय कुछ मुनिजनों की गुर्वावली दी गयी है, जो इस प्रकार है :
मदनप्रभसूरि
भद्रेश्वरसूरि
विजयसेनसूरि
रत्नाकरसूरि
हेमतिलकसूरि सादड़ी से प्राप्त उक्त लेख में भी हेमतिलकसूरि का नाम मिलता है। जैसा कि पूर्व में हम देख चुके हैं वि० सं० १४३२ से १४५४ तक के
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