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सार्धपूर्णिमागच्छ
१००१
मुनिचन्द्रसूरि
विद्याचन्द्रसूरि [वि० सं० १६१० में इनके
उपदेश से आवश्यकनियुक्ति बालावबोध की
प्रतिलिपि की गयी] जैसा कि प्रारम्भ में कहा जा चुका है इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित वि० सं० १३३१ से वि० सं० १६२४ तक की ५० से अधिक जिनप्रतिमायें मिलती है। इनका विवरण इस प्रकार है :
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