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कमलप्रभसूरि
प्रशस्तियों के आधार पर निर्मित पूर्णिमागच्छ (प्रधानशाखा) के मुनिजनों का वंशवृक्ष
यशस्तिलक
[वि० सं० १५२७ - १५२९] प्रशस्ति
राजमाणिक्यसूरि [वि०सं० १५७४ में वैरकुमारकथा प्रतिलिपिकर्ता
मुनिराजसुन्दरसूरि [वि०सं० १५६६ ] प्रशस्ति
?
जयसिंहसूरि | जयप्रभसूर
[वि० सं० १५२० - १५५१] प्रशस्ति
भुवनप्रभसूरि [वि०सं० १५६५ - १५६६] प्रशस्ति
मुनिरत्नमेरुसूरि
[वि० सं० १५७४ में आदिनाथमहाकाव्य के प्रतिलिपिकार ]
कमलसंयमसूरि [वि० सं० १५५३ में इनके सानिध्य में पाक्षिकसूत्रअवचूरि की प्रतिलिपि की गयी ]
पुण्यप्रभसूरि [वि०सं० १५९० - १६११] दाताप्रशस्ति
जयमेरुरि [वि० सं० १५५१] प्रशस्ति
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विद्याप्रभसूरि [वि० सं० १६२४ ] प्रतिलेखनप्रशस्ति
मुनिवीरकलश [वि० सं० १५५५ में स्नात्रपंचाशिका के
प्रतिलिपिकार ]
पूर्णिमागच्छ ढंढेरिया शाखा
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