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________________ ९८६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास प्रशस्तियों की उक्त तालिका में उल्लिखित मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्धों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है : । १. जयसिंहसूरि के पट्टधर जयप्रभसूरि २. जयप्रभसूरि के पट्टधर यशस्तिलकसूरि, भुवनप्रभसूरि और जयमेरुसूरि भुवनप्रभसूरि के पट्टधर कमलप्रभसूरि, मुनि राजसुन्दरसूरि, मुनिरत्नमेरुसूरि, कमलसंयमसूरि और वीरकलशसूरि ४. कमलप्रभसूरि के पट्टधर राजमाणिक्य और पुण्यप्रभसूरि पुण्यप्रभसूरि के पट्टधर विद्याप्रभसूरि विद्याप्रभसूरि के पट्टधर ललितप्रभसूरि ललितप्रभसूरि के पट्टधर विनयप्रभसूरि विनयप्रभसूरि के पट्टधर कीर्तिरत्नसूरि, मुनि हेमराजसूरि और महिमाप्रभसूरि महिमाप्रभसूरि के पट्टधर भावप्रभसूरि, भावरत्नसूरि और मुनिलाल १०. भावप्रभसूरि के पट्टधर भावरत्नसूरि और ज्योतिरत्नसूरि उक्त विवरण के आधार पर इन मुनिजनों के गुरु-शिष्य परम्परा की एक तालिका अथवा विद्यावंशवृक्ष तैयार होता है, जो इस प्रकार है - 3 ; . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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