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प्रशस्ति
वही,
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क्रमांक संवत् | तिथि/ ग्रन्थ का मूल प्रशस्ति प्रशस्तिगत | प्रतिलिपि- संदर्भ ग्रन्थ । मिति
प्रतिलेखन ___ आचार्य/ कार
प्रशस्ति | मुनि का नाम ७. | १५५१ | आश्विन | कर्पूरप्रकरण । प्रतिलेखन जयप्रभसूरि एवं | जयप्रभसूरि वही, शुक्ल १
उनके शिष्य
क्रमांक ३८०५, बुधवार
जयमेरु
पृष्ठ २२० ८. | १५५३ | चैत्र पाक्षिकसूत्र- , भुवनप्रभसूरि सुद ८ अवचूरि
एवं उनके शिष्य
क्रमांक ९५० रविवार
कमलसंयम तथा
पृ० ७८
वीरकलश ९. | १५५५ | आश्विन |स्नात्रपंचाशिका
भुवनप्रभसूरि | वीरकलश वही, सुद १३
एवं शिष्य
क्रमांक २२७८ वीरकलश
पृष्ठ ११० १०. | १५५५ | भाद्रपद | चतुःशरण
जयप्रभसूरि जयप्रभसूरि |वही, क्रमांक ४६४, सुदि ९ अवचूरि
पृ० ४३
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
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