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पूर्णिमागच्छ
अ० प्र० जै०
ले० सं०
जै० धा० प्र० ले० - जैनधातुप्रतिमालेख, संपा० मुनि कांतिसागर, प्रकाशक- श्री जिनदत्तसूरि ज्ञान भंडार, सूरत १९५० ई०
प्र० ले० सं०
बी० जै० ले० सं०- बीकानेरजैनलेखसंग्रह, संपा० अगरचन्द नाहटा व भंवरलाल नाहटा, नाहटा ब्रदर्स, ४ जगमोहन मलिक लेन, कलकत्ता १९५५ ई०
जै०
९६५
अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह, आबू - भाग ५, संपा० मुनि जयन्तविजय, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर वि० सं० २००५
श्री प्र० ले० सं०- श्रीप्रतिमालेखसंग्रह, संपा० दौलतसिंह लोढ़ा, प्रका०- यतीन्द्र साहित्य सदन, धामणिया, मेवाड १९५१ ई०
जैन सत्य प्रकाश
० स० प्र०
श०गि०५०
श० वै०
प्रतिष्ठालेखसंग्रह, भाग १, संपा० महोपाध्याय विनयसागर, सुमतिसदन, कोटा - राजस्थान १९५३ ई०
शत्रुंजयगिरिराजदर्शन, संपा० मुनि कंचनसागर, प्रका० - आगमोद्धारक ग्रन्थमाला, कपडवज १९८२ ई०
शत्रुंजयवैभव, संपा० मुनि कांतिसागर, कुशलसंस्थान, पुष्प ४, जयपुर १९९० ई
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रा० प्र० ले० सं०- राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह, संपा० मुनि विशालविजय, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १९६० ई
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