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वि० सं० १५३३ वैशाख सुदि ४
बुधवार
साधुसुन्दरसूरि के पट्टधर देवसुन्दरसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमायें मिली हैं जिनका विवरण
इस प्रकार है :
वि० सं० १५४५
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास प्रा० ले० सं० लेखांक ४५२
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फाल्गुन वदि २
मंगलवार
श्री प्रतिमा
लेखांक २१७
ले० सं०,
प्रा० ले० सं०, लेखांक ४९५
वि० सं० १५४७
माघ सुदि १०
गुरुवार
वि० सं० १५४८ कार्तिक सुदि १२
शुक्रवार
आधार पर पूर्णिमागच्छीय गुरु
उक्त प्रतिमालेखीय साक्ष्यों के परम्परा की एक संक्षिप्त तालिका इस प्रकार बनायी जा सकती है :
रा० प्र० ले० सं०, लेखांक ३१०
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