________________
९५२
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास पूर्णिमागच्छ से सम्बद्ध अभिलेखीय साक्ष्यों से कुछ अन्य मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध भी स्थापित होते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : मुनिशेखरसूरि के पट्टधर साधुरत्नसूरि
पूर्णिमागच्छीय साधुरत्नसूरि की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २८ जिन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं । इन पर वि० सं० १४८५ से १५२७ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १४८५ वैशाख सुदि६ जै० धा० प्र० ले० लेखांक ७७
रविवार वि० सं० १४८५ ज्येष्ठ वदि ५ बी० जै० ले० सं० लेखांक ७२८
रविवार वि० सं० १४८५ ज्येष्ठ वदि ११ वही, लेखांक १५९८
शनिवार वि० सं० १४८७ कार्तिक वदि ५ जै० ले० सं० लेखांक २३०० गुरुवार
भाग ३ वि० सं० १४८७ माघ सुदि ५ श०गि०द०, लेखांक ४६७
गुरुवार वि० सं० १४८९ वैशाख सुदि प्रा० ले० सं० लेखांक १४४ वि० सं० १४८९ फाल्गुन सुदि ३ जै० ले० सं० लेखांक २३०५
भाग ३ वि० सं० १५०२ पौष वदि १० । बी० जै० ले० लेखांक ८६१
बुधवार सं० वि० सं० १५०३ ज्येष्ठ सुदि ७ प्रा० ले० सं० लेखांक १९६
सोमवार वि० सं० १५०६ माघ सुदि १३ ।। जै० धा० प्र० लेखांक ११३०
रविवार ले० सं०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org