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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वैशाख सुदि ३ वही, भाग १ लेखांक १०६७
वि० सं० १४८६
वि० सं० १५०४ ज्येष्ठ सुदि ९ वही, भाग १ लेखांक ११७१
रविवार वि० सं० १५११ आषाढ वदि ९ बी० जै० लेखांक ९४५
शनिवार ले० सं० वि० सं० १५११ के लेख में सर्वाणंदसूरि के पट्टधर (?) के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। गुणसागरसूरि के शिष्य हेमरत्नसूरि __इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिली हैं, जो वि० सं० १४८६ और वि० सं० १५२१ की हैं : वि० सं० १४८६ ज्येष्ठ सुदि ९ जै० धा० प्र० लेखांक १३९
बुधवार ले० सं०, भाग २
वि०सं० १५२१ वैशाख सुदि ३ वही, भाग १ लेखांक ८४७
सोमवार गुणसागरसूरि के पट्टधर गुणसमुद्रसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २१ जिन प्रतिमायें मिली हैं, जो वि०सं० १४९२ से वि०सं० १५१२ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १४९२ वैशाख सुदि ३ प्रा० ले० सं० लेखांक १५८
गुरुवार वि० सं० १५०१ वैशाख सुदि १३ जै० धा० प्र० लेखांक २२५
गुरुवार ले० सं०, भाग १ वि० सं० १५०१ ज्येष्ठ वदि ९ जै० ले० सं०, लेखांक १५६५
रविवार भाग १
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