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________________ ९४४ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वैशाख सुदि ३ वही, भाग १ लेखांक १०६७ वि० सं० १४८६ वि० सं० १५०४ ज्येष्ठ सुदि ९ वही, भाग १ लेखांक ११७१ रविवार वि० सं० १५११ आषाढ वदि ९ बी० जै० लेखांक ९४५ शनिवार ले० सं० वि० सं० १५११ के लेख में सर्वाणंदसूरि के पट्टधर (?) के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। गुणसागरसूरि के शिष्य हेमरत्नसूरि __इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिली हैं, जो वि० सं० १४८६ और वि० सं० १५२१ की हैं : वि० सं० १४८६ ज्येष्ठ सुदि ९ जै० धा० प्र० लेखांक १३९ बुधवार ले० सं०, भाग २ वि०सं० १५२१ वैशाख सुदि ३ वही, भाग १ लेखांक ८४७ सोमवार गुणसागरसूरि के पट्टधर गुणसमुद्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २१ जिन प्रतिमायें मिली हैं, जो वि०सं० १४९२ से वि०सं० १५१२ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १४९२ वैशाख सुदि ३ प्रा० ले० सं० लेखांक १५८ गुरुवार वि० सं० १५०१ वैशाख सुदि १३ जै० धा० प्र० लेखांक २२५ गुरुवार ले० सं०, भाग १ वि० सं० १५०१ ज्येष्ठ वदि ९ जै० ले० सं०, लेखांक १५६५ रविवार भाग १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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