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________________ पूर्णिमागच्छ ९४३ पूर्णिमागच्छीय मुनिजनों की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ४०० से अधिक जिन प्रतिमायें आज मिलती हैं। इन पर वि० सं० १३६८ से वि०सं० १७७४ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इन प्रतिमालेखों में इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नाम मिलते हैं, परन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो पाते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : सर्वाणंदसूरि इनकी प्ररेणा से प्रतिष्ठापित तीन प्रतिमायें मिली हैं जिनपर वि०सं० १४८० से वि० सं० १४८५ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनका विवरण इस प्रकार है वि० सं० १४८० ज्येष्ठ सुदि ७ मंगलवार वि० सं० १४८९ वैशाख वदि १२ रविवार वि० सं० १४८५ ज्येष्ठ सुदि ७ मंगलवार गुणसागरसूरि आपकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ६ प्रतिमायें मिली हैं, जिन पर वि० सं० १४८३ से वि० सं० १५११ तक के लेख उत्कीर्ण हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि०सं० १४८३ वि०सं० १४८३ प्र० ले० सं० लेखांक २२३ भाग १ बी० जै० ले० लेखांक ७०४ सं० जै० ले० सं० लेखांक १२४१ भाग-२ Jain Education International वैशाख सुदि ५ जै० धा० प्र० लेखांक ४६५ गुरुवार ले० सं०, भाग २ फाल्गुन सुदि १० वही, भाग २ लेखांक १०१४ गुरुवार वि० सं० १४८३ फाल्गुन सुदि १० वही, भाग १ लेखांक ११७८ गुरुवार For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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