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पूर्णिमागच्छ
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पूर्णिमागच्छीय मुनिजनों की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ४०० से अधिक जिन प्रतिमायें आज मिलती हैं। इन पर वि० सं० १३६८ से वि०सं० १७७४ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इन प्रतिमालेखों में इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नाम मिलते हैं, परन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो पाते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है :
सर्वाणंदसूरि
इनकी प्ररेणा से प्रतिष्ठापित तीन प्रतिमायें मिली हैं जिनपर वि०सं० १४८० से वि० सं० १४८५ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनका विवरण इस प्रकार है
वि० सं० १४८० ज्येष्ठ सुदि ७ मंगलवार
वि० सं० १४८९ वैशाख वदि १२
रविवार
वि० सं० १४८५ ज्येष्ठ सुदि ७
मंगलवार
गुणसागरसूरि
आपकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ६ प्रतिमायें मिली हैं, जिन पर वि० सं० १४८३ से वि० सं० १५११ तक के लेख उत्कीर्ण हैं। इनका विवरण इस
प्रकार है :
वि०सं० १४८३
वि०सं० १४८३
प्र० ले० सं० लेखांक २२३
भाग १
बी० जै० ले० लेखांक ७०४
सं०
जै० ले० सं० लेखांक १२४१
भाग-२
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वैशाख सुदि ५
जै० धा० प्र० लेखांक ४६५
गुरुवार
ले० सं०, भाग २
फाल्गुन सुदि १० वही, भाग २ लेखांक १०१४
गुरुवार
वि० सं० १४८३ फाल्गुन सुदि १० वही, भाग १ लेखांक ११७८
गुरुवार
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