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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
[वि० सं० १२२३ / ई० सन्
११६७ में प्रश्नोत्तररत्नमालावृत्ति के रचनाकार ]
हेमप्रभसूर
अममस्वामिचरितमहाकाव्य -
पूर्णिमागच्छीय समुद्रघोषसूरि के विद्वान् शिष्य मुनिरत्नसूरि द्वारा यह प्रसिद्ध कृति वि० सं० १२५२ / ई० सन् १९९६ में रची गयी है। रचना के अन्त में प्रशस्ति के अन्तर्गत ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा दी है, जो इस प्रकार है :
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चन्द्रप्रभसूरि [पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक]
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धर्मघोषसूरि
समुद्रघोषसूरि
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मुनिरत्नसूरि
प्रश्नोत्तरसंग्रहवृत्ति -
पूर्णिमागच्छीय मलयचन्द्रसूरि ने वि० सं० १२६० / ई० सन् १२०४ में अपने गुरु मानतुंगसूरि द्वारा रचित जयन्तीचरित्र अपरनाम प्रश्नोत्तरसंग्रह पर वृत्ति की रचना की । वृत्तिकार के गुरु- परम्परा इस प्रकार मिलती
है: अ
[वि० सं० ११५२/ ई० सन् ११९६ में अममस्वामिचरित
महाकाव्य के रचनाकार ]
सर्वदेवसूरि I जयसिंहसूरि I
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