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पिप्पलगच्छ
९०१
उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर पिप्पलगच्छ की त्रिभवीयाशाखा के मुनिजनों की गुरु परम्परा का जो क्रम निश्चित होता है, वइ इस प्रकार है :
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धर्मप्रभसूरि
धर्मशेखरसूरि
देवचन्द्रसूरि धर्मसुन्दरसूरि
(वि०सं०
(वि०सं०
१४८७)
१५११)
प्रतिमालेख प्रतिमालेख
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धर्मसागरसूरि
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(वि० सं० १४७१ - १४७६) प्रतिमालेख
(वि० सं० १४८४ - १५१०)
प्रतिमालेख
धर्मसूरि
(वि०सं०
१५२०)
प्रतिमालेख
(वि०सं० १४८४ - १५३५)
प्रतिमालेख
।
धर्मप्रभसूरि (वि०सं० १५६१) प्रतिमालेख
पिप्पलगच्छीय अभिलेखीय साक्ष्यों की पूर्व प्रदर्शित सूची में किन्हीं धर्मशेखरसूरि (वि०सं० १४८४ - १५०५ ) का नाम आ चुका है १२ जिन्हें समसामयिकता और नामसाम्य के आधार पर त्रिभवीयाशाखा के धर्मशेखरसूरि से अभिन्न माना जा सकता है यही बात उक्त सूची में ही उल्लिखित धर्मशेखरसूरि के शिष्य विजयसेनसूरि और प्रशिष्य शालिभद्रसूरि के बारे में भी कही जा सकती है । इस प्रकार त्रिभवीयाशाखा के मुनिजनों के गुरुपरम्परा की तालिका को जो नवीन स्वरूप प्राप्त होता है, वह इस प्रकार है :
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