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________________ Jain Education International पिप्पलगच्छ सोमवार For Private & Personal Use Only क्रमाङ्क | संवत् | तिथि | आचार्य का नाम | प्रतिमालेख/ प्रतिष्ठा स्थान संदर्भ ग्रन्थ स्तम्भलेख १०२. | १५१८ | माघ । उदयदेवसूरि | मुनिसुव्रत की पोसीना पार्श्वनाथ बुद्धिसागरसूरि, सुदि ५ के पट्टधर | देरासर, ईडर पूर्वोक्त, भाग-१, रत्नदेवसूरि लेखांक १४७१ १०३. | १५१९ / वैशाख | मुनिसिंहसूरि नमिनाथ की शांतिनाथ देरासर, वही, भाग-१, वदि १० के पट्टधर धातु की प्रतिमा कनासा पाडो लेखांक ३०७ शुक्रवार __ अमरचन्द्रसूरि का लेख १०४. | १५१९ / ज्येष्ठ । विजयदेवसूरि | सुमतिनाथ की संभवनाथ देरासर, विजयधर्मसूरि, वदि ६ के पट्टधर धातुप्रतिमा का | अमरेली पूर्वोक्त, बुधवार | शालिभद्रंसूरि | लेख लेखांक ३४१ १५१९ । मुनिसुन्दरसूरि शीतलनाथ की । वीरचैत्यान्तर्गत लोढ़ा, पूर्वोक्त, वदि २ के पट्टधर | धातु की चौबीसी आदिनाथ चैत्य, लेखांक ३५ शनिवार अमरचन्द्रसूरि प्रतिमा का लेख | थराद पाटण माघ www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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