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________________ नागपुरीयतपागच्छ क्रमांक संवत् माह तिथि दिन १५३३, माघ सुदि ६ १. २. ३. समुद्रसूरि के पट्टधर हेमरत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों का विवरण संदर्भ ग्रन्थ ४. १५३३ १५३७ मार्गशीर्ष जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ३५३ सुदि १२ १४४२ वैशाख सुदि १३, प्रतिष्ठालेखसंग्रह, भाग २, रविवार लेखांक १६८ उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर जो पट्टक्रम निश्चित होता है, वह इस प्रकार है - पूर्णचन्द्रसूरि | महंससूरि Jain Education International ६८५ प्रतिष्ठालेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ७६४ बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ११९१ (वि० सं० १४५६ - १५१३) (वि० सं० १५१७- १५२८) ( वि० सं० १५३३ - १५४२) इस प्रकार तपागच्छीय अभिलेखीय साक्ष्यों में न केवल उक्त मुनिजनों के नाम मिलते हैं, बल्कि उनका पट्टक्रम भी ठीक उसी प्रकार का है जैसा कि चन्द्रकीर्तिसूरि द्वारा रचित सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्ति में हम देख चुके हैं । सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्ति में पूर्णचन्द्रसूरि के गुरु का T हेमसमुद्रसूरि I हेमरत्नसूर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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