________________
८२६
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
हेमहंससूरि
(वि०सं० १४५३ में आचार्य पद प्राप्त)
हेमसमुद्र
पंन्यासलक्ष्मीनिवास (वि०सं० १४७० में
विद्यमान) पंन्यास पुण्यरत्न (वि०सं० १४९९ में
विद्यमान) पंन्यास साधुरत्न (वि०सं० १५३७ में
आचार्य पद, वि०सं०
१५६५ में स्वर्गस्थ) पार्श्वचन्द्रसूरि (वि०सं० १५६५ में
आचार्य पद, वि०सं० १५७२ में नागपुरीयतपागच्छ से अलग होकर वि०सं० १५७५ में अपना मत प्रकट किया, वि०सं०
१६१२ में स्वर्गस्थ) समरचन्द्रसूरि (वि०सं० १६०५ में
आचार्य पद, वि०सं०
१६२६ में स्वर्गस्थ) राजचन्द्रसूरि विमलचन्द्रसूरि जयचन्द्रसूरि (वि०सं० १६९९ में
स्वर्गस्थ)
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org