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पार्श्वचन्द्रगच्छ
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चतुर्थ पट्टावली श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई द्वारा संपादित जैनगूर्जर कविओ भाग २ (प्रथम संस्करण) में दी गयी है । इसमें भी आचार्य वादिदेवसूरि के शिष्य पद्मप्रभसूरि से लेकर देवचंद्रसूरि तक का अपेक्षाकृत विस्तार से परिचय दिया गया है, जो इस प्रकार है :
तालिका
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५
वादिदेवसूरि पद्मप्रभसूरि
प्रसन्नचन्द्र
(वि०सं० १२३६ में आचार्य पद : वि०सं० १२८६ में स्वर्गस्थ )
गुणसमुद्रसूरि
(वि० सं० १३०१ में स्वर्गस्थ )
जयशेखरसूरि (वि० सं० १३०१ में नागौर में आचार्य पद प्राप्त)
1
वज्रसेनसूरि
(वि०सं० १९९४ में आचार्य पद पर प्रतिष्ठापित, भुवनदीपक नामक ज्योतिषशास्त्र की कृति के रचनाकार वि०सं० १२४० में स्वर्गस्थ )
हेमचन्द्रसूरि
पूर्णचन्द्रसूरि
हेमतिलकसूरि (वि०सं० १३९९ या १४०० में बीलाडा में आचार्य पद प्राप्त) (श्रीपालचरित आदि अनेक कृतियों के कर्ता)
(श्रीपालचरित की प्रथमादर्शप्रति के लेखक )
(वि०सं० १४३० में आचार्य पद प्राप्त)
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(लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, गुरुगुण
षट्त्रिंशका आदि के कर्ता)
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