SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पार्श्वचन्द्रगच्छ ८२५ चतुर्थ पट्टावली श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई द्वारा संपादित जैनगूर्जर कविओ भाग २ (प्रथम संस्करण) में दी गयी है । इसमें भी आचार्य वादिदेवसूरि के शिष्य पद्मप्रभसूरि से लेकर देवचंद्रसूरि तक का अपेक्षाकृत विस्तार से परिचय दिया गया है, जो इस प्रकार है : तालिका - ५ वादिदेवसूरि पद्मप्रभसूरि प्रसन्नचन्द्र (वि०सं० १२३६ में आचार्य पद : वि०सं० १२८६ में स्वर्गस्थ ) गुणसमुद्रसूरि (वि० सं० १३०१ में स्वर्गस्थ ) जयशेखरसूरि (वि० सं० १३०१ में नागौर में आचार्य पद प्राप्त) 1 वज्रसेनसूरि (वि०सं० १९९४ में आचार्य पद पर प्रतिष्ठापित, भुवनदीपक नामक ज्योतिषशास्त्र की कृति के रचनाकार वि०सं० १२४० में स्वर्गस्थ ) हेमचन्द्रसूरि पूर्णचन्द्रसूरि हेमतिलकसूरि (वि०सं० १३९९ या १४०० में बीलाडा में आचार्य पद प्राप्त) (श्रीपालचरित आदि अनेक कृतियों के कर्ता) (श्रीपालचरित की प्रथमादर्शप्रति के लेखक ) (वि०सं० १४३० में आचार्य पद प्राप्त) Jain Education International (लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, गुरुगुण षट्त्रिंशका आदि के कर्ता) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy