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पार्श्वचन्द्रगच्छ
८२१ हेमहंससूरि (वि०सं० १४५३ में आचार्य पद पर प्रतिष्ठापित) पंन्यास लक्ष्मीनिवास
पंन्यास पुण्यरत्न (सर्वविद्याविशारद, वि०सं० १४९९ में विद्यमान)
पंन्यास साधुरत्न
पार्श्वचन्द्रसूरि
(वि०सं० १५३७ में जन्म, १५४७ में दीक्षा, वि०सं० १५५४ में उपाध्याय पद, वि०सं० १५६५ में क्रियोद्धार, अनेक ग्रन्थों के रचनाकार, वि०सं० १६१२ में स्वर्गस्थ)
विनयदेवसूरि
समरचन्द्रसूरि
(वि०सं० १६०५ में आचार्य पद प्राप्त, वि०सं० १६२६ में स्वर्गस्थ)
राजचन्द्रसूरि
विमलचन्द्रसूरि
जयचन्द्रसूरि
पद्मचन्द्रसूरि
(वि०सं० १६८८ में दीक्षा, वि०सं० १७४४ में स्वर्गस्थ)
मुनिचन्द्रसूरि
(वि०सं० १७२२ में आचार्य पद, वि०सं० १७४४ में भट्टारक पद, वि०सं० १७५० में निधन) (वि०सं० १७५० में भट्टारक पद प्राप्त)
नेमिचन्द्रसूरि
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