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________________ द्रष्टव्य-तालिका क्रमांक - १ पार्श्वचन्द्रसूरि (पार्श्वचन्द्रगच्छ के प्रवर्तक एवं अनेक कृतियों के रचनाकार) Jain Education International For Private & Personal Use Only विनयदेवसूरि (सुधर्मगच्छ के प्रवर्तक) समरचन्द्रसूरि (अनेक संज्झाय, स्तवन आदि के रचयिता) विनयकीर्तिसूरि राजचन्द्रसूरि रत्नचारित्र मनजीऋषि (वि०सं० १६४६ में विमलचन्द्र हंसचन्द्र देवचन्द्र श्रवणऋषि- विमलचारित्र वच्छराज | विनयदेवसूरिरास सरि (वि०सं० १६५७ में (वि०सं०१६६३ में (वि०सं०१६४२ में । के रचनाकार) वि०सं० ऋषिदत्तारास जना | अंजनासुंदरीरास सम्यकत्त्वकौमुदीरास | के कर्ता) के कर्ता) के कर्ता) जयचन्द्रसूरि पूंजाऋषि वीरचन्द्र मेघराज वि०सं० १६४२ में वि०सं० १७२८में वि०सं० १६६४में आरामशोभाचरित्र जम्बूपृच्छारास नलदमयन्तीरास तथा अन्य के रचनाकार के कर्ता) कृतियों के रचनाकारः जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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