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________________ ५३८ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा वटेश्वर क्षमाश्रमण [आकाशवप्रनगर में जिनमंदिर के निर्माता] तत्त्वाचार्य दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि यक्षमहत्तर [वि० सं० ८३५/ ई० सन् ७७८ / शक सं० ७०० में] कुवलयमालाकहा के रचनाकार] कृष्णर्षि जयसिंहसूरि [वि० सं० ९१५ / ई० सन् ८५९ में धर्मापदेशमालाविवरण के रचनाकार] उक्त आधार पर वटेश्वर क्षमाश्रमण का समय प्रायः ई० सन् ६७५ - ७२५ के बीच मान सकते हैं । चूंकि वे अपने समय के एक प्रभावक आचार्य रहें होंगे, अत: ११ वीं शती के प्रारम्भ में थारापद्रगच्छीय पूर्णभद्रसूरि द्वारा उन्हें अपने पूर्वज के रूप में स्मरण करना यही सूचित करता है कि वटेश्वर क्षमाश्रमण के ही किसी शिष्य की परम्परा आगे चलकर थारापद्रगच्छ के नाम से प्रसिद्ध हुई, जिसमें बाद में प्राय: ५वीं पीढ़ी के करीब ज्येष्ठाचार्यादि हुए होंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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