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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास के शिष्य शिचन्द्रगणिमहत्तर हुए, जिनके नाग, वृन्द, दुर्ग, मम्मट, अग्निशर्मा
और वटेश्वर ये ६ शिष्य थे । वटेश्वर क्षमाश्रमण ने आकाशवप्रनगर [अम्बरकोट/ अमरकोट] में जिनमंदिर का निर्माण कराया । वटेश्वर के शिष्य तत्त्वाचार्य हुए । कुवलयमालाकहा के रचनाकार दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि इन्हीं तत्त्वाचार्य के शिष्य थे। इस बात को प्रस्तुत तालिका से भली-भांति समझा जा सकता है :
वाचक हरिगुप्त [तोरमाण के गुरु]
कवि देवगुप्त [सुपुरुषचरिय के रचनाकार]
शिवचन्द्रगणिमहत्तर
नाग
वृन्द
दुर्ग
मम्मट अग्निशर्मा वटेश्वर क्षमाश्रमण
[आकाशवप्रनगर।
अम्बरकोट। अमरकोट में जिनमंदिर के निर्माता]
तत्त्वाचार्य
दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि [शक सं ०७०० /
ई० सन् ७७८ में कुवलयमालाकहा के
रचनाकार]
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