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________________ १२ ३. काकन्दिका ४. मेखलर्जिका आर्यकामर्द्धि से वेशवाटिक गण अस्तित्व में आया । इस गण से ४ शाखायें व ४ कुल निकले वेशवाटिक गण ४ शाखायें १. श्रावस्तिका २. राजपालिका ३. अन्तरंजिका ४. सेमलिया ४ कुल १. गणिक २. मेधिक ३. कामर्दिधक ४. वेशवाडिय आर्यऋषिगुप्त से मानवगण निकला । इस गण से ४ शाखायें व ३ कुल अस्तित्व में आये : मानवगण ४ शाखायें १. काश्यवर्जिका २. गौतमीया जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास ३. यशोभद्रीय ३. वाशिष्ठिया ४. सौराष्ट्रका Jain Education International ३ कुल १. ऋषिगोत्रक २. ऋषिदत्तिक ३. अभिजयन्त सुहस्ति- सुप्रतिबुद्ध से कोटिकगण अस्तित्व में आया । इस गण से ४ शाखायें व ४ कुल अस्तित्व में आये : कोटिकगण ४ शाखायें १. उच्च नागरी २. विद्याधरी ३. वज्री ४. मध्यमिका For Private & Personal Use Only ४ कुल १. ब्रह्मलिप्तिक २. वत्सलिप्तिक ३. वाणिज्य ४. प्रश्नवाहन www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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