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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास १. उत्तर
५. कौडिन्य २. वल्लिसह
६. नाग ३. धनद्धि
७. नागमित्र ४. शिरद्धि
८. षड्लूक रोहगुप्त स्थविर उत्तर और बल्लिसह से उत्तरबल्लिसहगण निकला। इस गण की ४ शाखायें हुईं। १. कौशाम्बिका २. सौमित्रिका ३. कोटुम्बिनी ४. चन्द्रनागरी आर्यस्थूलिभद्र के दूसरे शिष्य आर्यसुहस्ति के १२ शिष्यों का नाम मिलता
१. आर्यरोहण २. भद्रयश ३. मेघगणि ४. कामधि
५. सुस्थित
६. सुप्रतिबुद्ध ७. रक्षित ८. रोहगुप्त ९. ऋषिगुप्त १०. श्रीगुप्त ११. ब्रह्मगणि १२. सोमगणि
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