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________________ ४२८ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास ४. श्रीचन्द्रसूरि - श्वेताम्बर श्रमण परम्परा में श्रीचन्द्रसूरि नामक कई मुनिजन हो चुके हैं। विवेच्य श्रीचंद्रसूरि चंद्रकुल के आचार्य सर्वदेवसूरि के संतानीय जयसिंहसूरि के प्रशिष्य और देवेन्द्रसूरि के शिष्य तथा चौलुक्यनरेश जयसिंह सिद्धराज (वि० सं० ११५०-९८ / ई. सन् १०९४४२) और कुमारपाल (वि० सं० ११९९-१२२८ / ई. सन् ११४३-७२) के समसामयिक थे । जैसा कि लेख के प्रारम्भ में ही कहा जा चुका है इन्हों ने वि० सं० १२१४ / ईस्वी सन् ११५८ में प्राकृत भाषा में ८१२७ श्लोक परिमाण सणंकुमारचरिय (सनत्कुमारचरित) की रचना की । यह कृति अणहिलपुरपाटण में श्रेष्ठी सोमेश्वर के अनुरोध पर रची गयी । चतुर्थ चक्रवर्ती सनत्कुमार के जीवन पर प्राकृत भाषा में रची गयी यह सबसे बड़ी रचना है। कृति के प्रारम्भ में रचनाकार ने हरिभद्रसूरि, सिद्धमहाकवि, अभयदेवसूरि, धनपाल, देवचंद्रसूरि, शान्तिसूरि, मुनिचन्द्रसूरि, देवभद्रसूरि और मलधारी हेमचन्द्रसूरि की कृतियों का स्मरण करते हुए उनकी प्रशंसा की है।३५ इनके द्वारा रचित किन्हीं अन्य कृतियों का उल्लेख नहीं मिलता और न ही इनके बारे में अन्य कोई जानकारी ही मिल पाती है। ५. बालचन्द्रसूरि - ये चंद्रगच्छीय हरिभद्रसूरि के पट्टधर तथा महामात्य वस्तुपाल - तेजपाल के समकालीन थे। जैसा कि इस निबन्ध के प्रारम्भिक पृष्ठों में कहा गया है इन्होंने महामात्य वस्तुपाल के पुत्र जैत्रसिंह की प्रार्थना पर वसन्तविलासमहाकाव्य की रचना की । इस कृति में वस्तुपाल के उपनाम वसंतपाल के नाम से उसकी जीवनी लिखी गयी है। इस कृति में रचनाकाल नहीं दिया गया है, किन्तु वस्तुपाल की मृत्यु की तिथि वि० सं० १२९६/ ईस्वी सन् १२४० दी गयी है जिससे स्पष्ट है कि उक्त तिथि के पश्चात् ही इसकी रचना हुई थी। इन्होंने कवि आसड़ द्वारा रचित उपदेशकन्दली और विवेकमंजरी पर वृत्तियां लिखीं । करुणावज्रायुध नामक एकांकी नाटक भी इन्हीं की कृति है। वसन्तविलास के विपरीत इन्होंने उक्त कृतियों की प्रशस्तियों में अपनी लम्बी गुर्वावली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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