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________________ ४०२ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वर्धमानसूरि जिनेश्वरसूरि बुद्धिसागरसूरि जिनचन्द्रसूरि अभयदेवसूरि (वि०सं० ११२५/ (संवेगरंगशाला की ई. सन्० १०६९ में रचना के प्रेरक) संवेगरंगशाला के रचनाकार ३. व्याख्याप्रज्ञप्तिवृत्ति - चन्द्रकुल के आचार्य वर्धमानसूरि के प्रशिष्य और जिनेश्वरसूरि एवं बुद्धिसागरसूरि के शिष्य अभयदेवसूरि ने वि० सं० ११२८/ईस्वी सन् १०७२ में इस कृति की रचना की । अभयदेवसूरि ने व्याख्याप्रज्ञप्ति सहित ९ अंग ग्रन्थों पर वृत्तियां रची हैं, इसी कारण ये नवाङ्गवृत्तिकार के रूप में विख्यात रहे हैं। व्याख्याप्रज्ञप्तिवृत्ति की प्रशस्ति में वृत्तिकार ने अपनी गुरु-परम्परा, रचनाकाल, रचनास्थान आदि का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है : वर्धमानसूरि जिनेश्वरसूरि बुद्धिसागरसूरि अभयदेवसूरि (वि० सं० ११२८/ईस्वी सन् १०७२ में ___ व्याख्याप्रज्ञप्तिवृत्ति के रचनाकार) ४. सणंकुमारचरिय (सनत्कुमारचरित ) श्वेताम्बर जैन परम्परा में सनत्कुमार की चौथे चक्रवर्ती के रूप में मान्यता है। इनके जीवनचरित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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