________________
२३६
शाखा प्रारम्भ
सिद्धाचार्य संतानीय
- देवगुप्तसूरि [वि०सं० १३८९ - १४२७] प्रतिमालेख
1 सिद्धसूरि 1
[वि०सं० १४३२ - १४४५ ] प्रतिमालेख
कक्कसूरि [वि० सं० १४६६ - १४७१] प्रतिमालेख
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
I
देवगुप्तसूरि [वि० सं० १४७१ - १४९९] प्रतिमालेख
विनयप्रभ उपाध्याय [वि० सं० १४७९ / ई० सन् १४२३ की उत्तराध्यनसूत्र की सुखबोधावृत्ति की प्रतिलिपि में उल्लिखित ]
Jain Education International
सिद्धसूरि
[वि० सं० १४७३] प्रतिमालेख
I
कक्कसूरि
[वि० सं० १५०२ - १५०८] प्रतिमालेख
| देवगुप्तसूरि
[वि० सं० १५०३ - १५०७] 1
सिद्धसूरि
[वि० सं० १५२५ - १५४०]
कक्कसूरि
[वि० सं० १५३७ - १५४९]
|
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org