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________________ ९. चन्द्रकुलगच्छ ( चन्द्रगच्छ ) - यह वस्तुतः चन्द्रगच्छ हि प्रतीत होता है । क्योंकि चन्द्रकुलीय आचार्यों में उद्योतनसूरि के शिष्य सर्वदेवसूरि ने वडगच्छ की स्थापना की थी और वर्द्धमानसूरि ८४ मठों के अधिपति थे। इस दृष्टि से लेखक ने धनेश्वरसूरि रचित सुरसुंदरीचरियं, जिनचन्द्रसूरि रचित संवेगरंगशाला, अभयदेवसूरि रचित व्याख्याप्रज्ञप्तिवृत्ति को ये दोनों चन्द्रकुलीय थे। चन्द्रकुलीय मानकर यहाँ उल्लेख किया है किन्तु वह गलत है। क्योंकि जिनेश्वरसूरि के शिष्य धनेश्वरसूरि ( जिनभद्रसूरि ) और अभयदेवसूरि- कौटिकगण, वज्रशाखा, चन्द्रकुलीय माने जाते हैं और उन्होंने अपना विशेषण सुविहित पक्षीय लिखा है । अतएव यह गच्छ अलग से ही प्रतीत होता है । इसमें धनेश्वरसूरि आदि आचार्यों को सम्मिलित करना उपयुक्त नहीं है। जयसिंहसूरि के शिष्य चन्द्रप्रभसूरि से पूर्णिमागच्छ अस्तित्व में आया। चन्द्रगच्छीय परम्परा में श्रीचन्द्रसूरि रचित सणंककुमारचरिउ | बालचन्द्रसूरि रचित उपदेशकंदलीटीका, वसन्तविलासमहाकाव्य, विवेकमंजरीटीका, करुणावज्रायुधनाटक आदि कृतियाँ प्राप्त हैं । चन्द्रगच्छीय देवेन्द्रसूरि ने ही उपमितिभवप्रपंचकथासारोद्धार (संवत् ९६२), विनयचन्द्रसूरि कृत पार्श्वनाथचरित्र, प्रद्युम्नसूरि कृत समरादित्यसंक्षेप ( संवत् १३२४), उदयप्रभसूरि कृत शीलवतिकथा (संवत् १४०० की लिखित) प्राप्त होती है । इसके अतिरिक्त कई लेखन प्रशस्तियाँ भी प्राप्त होती हैं । अभिलेखीय साक्ष्यों में अंकोटा से प्राप्त मूर्तियों पर इस गच्छ के प्राचीन लेख प्राप्त होते हैं । मूर्तिलेखों में १०३२ से १५५२ तक २३ लेख प्राप्त होते हैं। १०. चैत्रगच्छ - संभवत: चैत्रपुर (चित्तौड़) से इस गच्छ की उत्पत्ति हुई है । इस गच्छ के चैत्रगच्छ, चित्रवालगच्छ, चैत्रवालगच्छ, चित्रपल्लीगच्छ और चित्रगच्छ नामकरण भी प्राप्त होते हैं । इस गच्छ के आदिमाचार्य धनेश्वरसूरि हुए। इन्हीं के पट्टधर भुवनचन्द्रसूरि, प्रशिष्य देवभद्रसूरि और जगच्चन्द्रसूरि हुए। आचार्य जगच्चन्द्रसूरि ने क्रियोद्धार किया और महाराजा Jain Education International 24 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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