SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८ उदयसागरसूरि | भानु भट्टसूरि | माणिक्य मंगलसूरि [वि० सं० १६३९ में जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास अंबडरास के रचनाकार ] साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर आगमिक गच्छ के जयानन्दसूरि, देवरत्नसूरि, शीलसिंहसूरि, विवेकरत्नसूरि, संयमरत्नसूरि, कुलवर्धनसूरि, विनयमेरुसूरि, जयरत्नगणि, देवरत्नगणि, वरसिंहसूरि, विनयरत्नसूरि आदि कई मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं । इन मुनिजनों के परस्पर सम्बन्ध भी उक्त साक्ष्यों के आधार पर निश्चित हो जाते हैं और इनकी जो गुर्वावली बनती है, वह इस प्रकार है - ? देवरत्नसूरि [वि० सं० १५०५१५३३ ] प्रतिमालेख धर्महंससूरि [वि० सं० १६२० के लगभग नववाडढालबंध के रचनाकार ] जयानन्दसूरि [वि० सं० १४७२ - १४९४ ] Jain Education International शीलसिंहसूरि [कोष्ठकचिन्तामणि स्वोपज्ञटीका के कर्ता ] For Private & Personal Use Only 7 विवेकरत्नसूरि www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy