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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
मिली हैं, जो वि० सं० १५७१ से वि० सं० १५८३ तक की हैं। उक्त बात को तालिका के रूप में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
सोमतिलकसूरि
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सोमचन्द्रसूरि
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गुणरत्नसूरि
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मुनिसिंहसूरि [वि० सं० १४९९ ]
१ प्रतिमालेख
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शीलरत्नसूरि [वि० सं० १५०६ - १५१२ ] I ५ प्रतिमालेख
आनन्दप्रभसूरि [वि० सं० १५१३-१५२७] ६ प्रतिमालेख
मुनिरत्नसूरि [वि० सं० १५२३ - १५४२ ] 1 २ प्रतिमालेख
आनन्दरत्नसूरि [ वि० सं० १५७१ - १५८३ ] ५ प्रतिमालेख
श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई द्वारा प्रस्तुत आगमिकगच्छ की विडालंबीया शाखा की गुर्वावली इस प्रकार है -
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